सत्य का सामना/आजादी के बाद से महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक स्तर पर सशक्त करने के लिए कई संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकारें भी महिलाओं को स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ाने के लिए कई शानदार योजनाओं का संचालन कर रही हैं। अक्सर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में क्या-क्या संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं? इसको लेकर लोगों के बीच काफी कंफ्यूजन रहती है। भारत में कई लोग लड़कियों को पराया धन कहते हैं। इसका कारण है कि बेटियां शादी के बाद अपने पति के घर चली जाती हैं। ऐसे में अक्सर कई लोगों का यह सवाल रहता है कि क्या शादी के बाद बेटी का उसके पिता की संपत्ति में अधिकार होता है? अगर आप भी इस विषय में जानना चाहते हैं तो आज हम आपको इसी बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं –
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2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में किए गए संशोधन के मुताबिक विवाहित बेटी को भी पिता की संपत्ति में समान अधिकार दिए गए हैं। साल 2005 से पहले बेटियों को शादी के बाद पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलता थाा ।
इसके अलावा, अगर पिता की संपत्ति पर किसी भी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज है, इस स्थिति में भी बेटी या परिवार का कोई दूसरा सदस्य उस संपत्ति पर अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकता है।
हालांकि, 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन नियमों को बदल दिया गया है। हालांकि, कुछ मामलों में बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार नहीं मिलते हैं। अगर पिता जीवित रहते हुए वसीयत बनाकर पूरी संपत्ति बेटे के नाम पर कर देता है, ऐसी स्थिति में बेटी पिता की संपत्ति में अपने अधिकार का दावा नहीं कर सकती