मुंबई/ सत्य का सामना/ भारत में क्रिक्रेट और सिनेमा धर्म की तरह है गली गली शहर शहर हर कोई इससे जुड़ा रहता है कोई क्रिकेट में अपना कैरियर बनाना चाहता है तो कोई फिल्मों में अपना भाग्य आजमाना चाहता है आईपीएल के आने से क्रिकेट का विस्तार हुआ है अब भारतीय टीम में चयन न हो फिर भी आईपीएल खेल कर करियर बनाया जा सकता है ।
दुसरी ओर हम सिनेमा की बात करे तो भारत में दो तरह की सिनेमा है । एक है बॉलीवुड तो दूसरा है दक्षिण भारतीय सिनेमा बॉलीवुड पिछले एक दशक से अपनी चमक खोता नजर आ रहा है इसके बहुत से कारण है एक तो फिल्मों में नयापन नहीं दूसरा कहानी में वो दूरदर्शिता नजर नहि आती जहा पहले मुंबई की फिल्मों में राकेश रोशन, यश चोपड़ा, सुभाष घई, प्रकाश झा जैसे फिल्मकार होते हैं तो भारतीय संस्कृति को देखते हुए फिल्म का निर्माण करते थे। वही सूरज बड़जात्या, डेविड धवन जैसे फिल्म मेकर पारिवारिक और कॉमेडी फिल्मों का निर्माण करते थे । लेकीन आज बहुत से वजहों से फिल्म का निर्माण बंद हो गया है कुछ निर्देशकों को उम्र हो गई है या कुछ की तबियत अब पहले जैसे नहीं रहीलेकीन इन सभी महान फिल्मकारों का रिप्लेसमेंट आज तक नही मिल पाया है रोहित शेट्टी,मोहित सूरी, आदित्य धर जैसे निर्देशक है जो की कमर्शियल फिल्मों का निर्माण करते है किंतु कमी को पूरा नहीं कर पाते इनमे से एक संजय लीला भंसाली ही इकलौते फिल्मकार है जो की एक सार्थक सिनेमा का निर्माण करते है।
जो की कही न कही इस कमी को पूरा करने का प्रयास करते है पुराने दौर में अगर हम देखे तो देवानंद, राज कपूर, राजेन्द्र कुमार, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन जैसे नायक होते थे उनकी पब्लिक दीवानी होती थी उनके फिल्मों की लाइन की कतार रिलीज के पहले ही हो जाती थी…
अगर हम साउथ की फिल्मों की बात करे तो कुछ साल पहले साऊथ की फिल्मे डब होकर टेलीविजन में दिखाई जाती थी जिसे बॉलीवुड के फिल्म मेकर रीमेक बनाकर रिलीज करते थे और ताबड़तोड़ कमाई करते थे जैसे वांटेड, राउडी राठौर, बॉडीगार्ड, सिंघम जैसे अनेक फिल्मे साउथ की रीमेक होती थीं।
लेकीन एकदम से परिस्थिति तब बदली जब एसएस राजामौली ने पैन इण्डिया मूवी बाहुबली पार्ट 1 और 2 बनाकर तेलगु,तमिल, मलयाली, कन्नड़ और हिंदी भाषा में रिलीज किया “बाहुबली” पार्ट 1 ने 800 करोड़ और पार्ट 2 ने तकरीबन 1900 करोड़ का पुरे दुनियाभर में व्यापार किया इस फिल्म को देखकर जैसे साऊथ वालो को एक नई दिशा मिल गई । उसके बाद पुष्पा 1 और 2 KGF पार्ट 1 और 2 आरआरआर और देवरा ने भूचाल ला के रख दीया इन सभी फिल्मों का व्यापार तकरीबन एक हज़ार करोड़ के आसपास है ।
दक्षिण भारत की फिल्मों ने थियेटर और टाकीज में उस पुराने दौर के दीवानगी को फिर से जिंदा कर दिया जब दर्शक अपने स्टार्स के लिए दीवाने होते है अपने प्रिय स्टार के लिए जान तक देने को कुर्बान होते थे ।
हा अगर हम पहले दौर की फिल्मों की बात करे तो उस समय मनोरंजन के साधन सीमित होते थे। लेकीन आज के आधुनिक युग में जब सभी के पास एंड्राइड फोन है केबल पे सैकडो चैनल है
ओटीटी पे सैकड़ो वेब सीरीज एवं वीडियो गेम्स है उसके बावजूद भी साऊथ की फिल्मे की कमाई और उनके एक्टर्स का क्रेज अपने आप में एक मिसाल है । और इसके अलावा साउथ के मेकर्स ने यह साबित किया है की फिल्मे अगर पूरी दिल से लगन से बनाया जाए तो दर्शक फिल्म देखने थियेटर में आयेंगे ही अंत में अल्लु अर्जुन एवं निर्देशक सुकुमार को पुष्पा 2 के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं…