मैं कभी रेलवे स्टेशन में सोया नही हू राते सड़कों में नही गुजारी -पंकज त्रिपाठी

फ़िल्म जगत

कहते हैं, हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है। अभिनेता पंकज त्रिपाठी की ज़िन्दगी भी इस कहावत से अलग नहीं है। लोग छोटे से शहर से निकलकर मुंबई की मायानगरी में आते हैं,सालों-साल संघर्ष करते हैं, तब जाकर अपनी पहचान बना पाते हैं। लेकिन पंकज त्रिपाठी का मानना है कि उन्हें मुंबई आने के बाद, ऐसा लगा ही नहीं कि उन्होंने कभी संघर्ष किया हो। ऐसा इसलिए, क्योंकि उनके साथ उनकी पत्नी मृदुला त्रिपाठी थीं।

   बुरा वक्त कब आया और कब गया पता नही चला

एक इंटरव्यू में पंकज कहते हैं, “मैं 2004 में मुंबई आया था और साल 2012 में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ मिली। तो 8 साल तक क्या कर रहा था, किसी को नहीं मालूम। मुझसे लोग पूछते हैं कि आपके संघर्ष के दिन कैसे थे, तो मुझे पता चलता है…. अच्छा वो मेरे संघर्ष के दिन थे। तब पता ही नहीं था, बुरा वक्त चल रहा है। इसलिए नहीं पता चल रहा था कि बुरा वक्त चल रहा है, क्योंकि मेरी पत्नी स्कूल में पढ़ाती थी। हमारी जरुरतें बहुत सीमित थीं। छोटे-से घर में रहते थे और उनकी सैलरी उतनी आराम से मिल जाती थी, तो मैं तो आराम से जो चाहे खाया-पिया और आराम से रहा। तो मेरे संघर्ष में उनकी वजह से, अंधेरी स्टेशन पर सोना नहीं शामिल नहीं हुआ।”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *