पत्थलगांव : फर्जी डॉक्टर द्वारा मरीजों के जान से खेला, हर मर्ज की एक ही दवा इंजेक्शन, स्वास्थ विभाग मौन?

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पत्थलगांव । ऋषिकेश मिश्रा, / जशपुर ज़िले के पत्थलगांव से कुछ किलोमीटर दूर मिर्जापुर तमता गांव में वर्षों से सक्रिय एक फर्जी डॉक्टर का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है। बिना किसी डिग्री, पंजीयन या चिकित्सा योग्यता के यह झोलाछाप डॉक्टर इलाज के नाम पर लोगों की ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। गंभीर बात यह है कि हर रोग का एक ही इलाज — इंजेक्शन! इससे अब तक कई मरीज़ों की हालत गंभीर हो चुकी है, लेकिन स्वास्थ्य महकमा पूरी तरह से मौन बना हुआ है।

 

पत्रकारों का स्टिंग ऑपरेशन: बेनकाब हुआ ‘मौत का सौदागर’ : इस पूरे प्रकरण की वास्तविकता उजागर करने के लिए पत्रकारों की टीम ने मरीज़ बनकर उक्त डॉक्टर के पास जाकर स्टिंग ऑपरेशन किया। डॉक्टर ने इलाज के नाम पर 3000 रुपये वसूले और बिना किसी जांच या मेडिकल प्रक्रिया के सीधे इंजेक्शन लगा दिया। इस पूरी कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो क्लिप और भुगतान के डिजिटल साक्ष्य सुरक्षित किए गए और तत्काल पत्थलगांव के बीएमओ को सौंपे गए।

 

BMO का जवाब – वही पुराना ‘जांच’ का बहाना… जब BMO को इतने ठोस साक्ष्य सौंपे गए, तब यह उम्मीद की जा रही थी कि तत्काल कार्रवाई होगी क्लिनिक को सील किया जाएगा, झोलाछाप डॉक्टर के खिलाफ FIR दर्ज होगी और विभागीय सख्ती सामने आएगी। लेकिन बीएमओ की प्रतिक्रिया वही घिसी-पिटी सरकारी पंक्ति रही “जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।”

 

प्रश्न यह है कि जब साक्ष्य सामने हैं, वीडियो उपलब्ध हैं और अपराध स्पष्ट है, तो अब और किस जांच की आवश्यकता है?

 

बंद पड़ा उपस्वास्थ्य केंद्र, मजबूरी में मौत को चुन रहे हैं मरीज़

 

इस झोलाछाप डॉक्टर के पास मरीज़ों की भीड़ लगने का सबसे बड़ा कारण करमी टिकरा स्थित उपस्वास्थ्य केंद्र है, जो महीनों से बंद पड़ा है। जब ग्रामीण वहां इलाज के लिए पहुँचते हैं और उन्हें ताला लटका मिलता है, तो मजबूरी में वे इस फर्जी डॉक्टर के पास जाते हैं। यानी सरकारी स्वास्थ्य सेवा की अनुपलब्धता ने झोलाछाप डॉक्टरों के लिए ज़मीन तैयार कर दी है।

 

क्या BMO भी इस पूरे खेल का हिस्सा हैं?

 

अब यह सवाल खुलकर सामने है कि जब सभी साक्ष्य बीएमओ को सौंपे जा चुके हैं, तब भी केवल “जांच” क्यों? क्या स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा फल-फूल रहा है? या फिर BMO किसी दबाव में हैं? इस चुप्पी और निष्क्रियता ने जनता के मन में संदेह और आक्रोश दोनों पैदा कर दिए हैं।

 

जनता का अल्टीमेटम: 72 घंटे में कार्रवाई नहीं, तो आंदोलन होगा

 

स्थानीय नागरिकों, सामाजिक संगठनों और मीडिया सम्मान परिवार की ओर से प्रशासन को स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि 72 घंटे के भीतर इन तीन मांगों पर कार्रवाई नहीं होती –

 

झोलाछाप डॉक्टर पर FIR दर्ज की जाए,

करमी टिकरा उपस्वास्थ्य केंद्र को पुनः चालू किया जाए,

बीएमओ के विरुद्ध विभागीय जांच प्रारंभ की जाए –

 

तो पूरे प्रकरण के विरोध में व्यापक जनआंदोलन छेड़ा जाएगा।

 

इस आंदोलन की शुरुआत बीएमओ कार्यालय के घेराव से की जाएगी और आवश्यकता पड़ने पर इसे जिला मुख्यालय से राजधानी तक ले जाया जाएगा।

 

अब यह खबर नहीं, चेतावनी है : पत्थलगांव के मिर्जापुर तमता में घटित यह प्रकरण सिर्फ एक झोलाछाप डॉक्टर की कहानी नहीं है। यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र की विफलता, प्रशासन की लापरवाही और जनता के साथ हो रहे छल का प्रतीक है। अब “जांच” का बहाना नहीं चलेगा- अब कार्रवाई चाहिए, जिम्मेदारी तय होनी चाहिए।

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