एक मेजर के नेतृत्व में 15 जवानों की एक टुकड़ी हिमालय के
अपने रास्ते पर थी उन्हें ऊपर कहीं अगले तीन महीने के लिए
दूसरी टुकड़ी की जगह तैनात होना था दुर्गम स्थान, ठण्ड और
बर्फ़बारी ने चढ़ाई की कठिनाई और बढ़ा दी थी बेतहाशा ठण्ड
में मेजर ने सोचा की अगर उन्हें यहाँ एक कप चाय मिल जाती
तो आगे बढ़ने की ताकत आ जाती लेकिन रात का समय था
और आसपास कोई बस्ती भी नहीं थी 🛖
लगभग एक घंटे की चढ़ाई के पश्चात् उन्हें एक जर्जर चाय की
दुकान दिखाई दी लेकिन अफ़सोस उस पर ताला लगा था 🔒
भूख और थकान की तीव्रता के चलते जवानों के आग्रह पर
मेजर साहब दुकान का ताला तुड़वाने को राज़ी हो गया खैर
ताला तोडा गया तो अंदर उन्हें चाय बनाने का सभी सामान
मिल गया जवानों ने चाय बनाई साथ वहां रखे बिस्किट आदि
खाकर खुद को राहत दी थकान से उबरने के पश्चात् सभी आगे
बढ़ने की तैयारी करने लगे लेकिन मेजर साहब को यूँ चोरो की
तरह दुकान का ताला तोड़ने के कारण आत्मग्लानि हो रही थी
उन्होंने अपने पर्स में से एक हज़ार का नोट निकाला और चीनी
के डब्बे के नीचे दबाकर रख दिया तथा दुकान का शटर ठीक
से बंद करवाकर आगे बढ़ गए, इससे मेजर की आत्मग्लानि
कुछ हद तक कम हो गई और टुकड़ी अपने गंतव्य की और बढ़
चली वहां पहले से तैनात टुकड़ी उनका इंतज़ार कर रही थी
इस टुकड़ी ने उनसे अगले तीन महीने के लिए चार्ज लिया
व अपनी ड्यूटी पर तैनात हो गए हो गए
तीन महीने की समाप्ति पर इस टुकड़ी के सभी 15 जवान
सकुशल अपने मेजर के नेतृत्व में उसी रास्ते से वापिस आ रहे
थे रास्ते में उसी चाय की दुकान को खुला देखकर वहां विश्राम
करने के लिए रुक गए, उस दुकान का मालिक एक बूढ़ा चाय
वाला था जो एक साथ इतने ग्राहक देखकर खुश हो गया और
उनके लिए चाय बनाने लगा 🫖 चाय की चुस्कियों और ☕
बिस्कुटों के बीच वो बूढ़े चाय वाले से उसके जीवन के अनुभव
पूछने लगे खास्तौर पर इतने बीहड़ में दूकान चलाने के बारे में
बूढ़ा उन्हें कईं कहानियां सुनाता रहा और साथ ही भगवान का
शुक्र अदा करता रहा 🗽
तभी एक जवान बोला “बाबा आप भगवान को इतना मानते
हो…अगर भगवान सच में होता तो फिर उसने तुम्हे इतने बुरे
हाल में क्यों रखा हुआ है ? बाबा बोला “नहीं साहब ऐसा नहीं
कहते भगवान् तो है और सच में है…. मैंने देखा है, आखरी
वाक्य सुनकर सभी जवान कोतुहल से बूढ़े की ओर देखने
लगे…बूढ़ा बोला साहब मै बहुत मुसीबत में था एक दिन मेरे
इकलौते बेटे को आतंकवादीयों ने पकड़ लिया उन्होंने उसे
बहुत मारा पिटा लेकिन उसके पास कोई जानकारी नहीं थी
इसलिए उन्होंने उसे मार पीट कर छोड़ दिया, मैं दुकान बंद
करके उसे हॉस्पिटल ले गया मै बहुत तंगी में था साहब और
आतंकवादियों के डर से किसी ने उधार भी नहीं दिया
मेरे पास दवाइयों के पैसे भी नहीं थे और मुझे कोई उम्मीद
नज़र नहीं आती थी उस रात साहब मै बहुत रोया और मैंने
भगवान से प्रार्थना की और मदद मांगी और साहब…उस रात
भगवान मेरी दुकान में खुद आए, मै सुबह अपनी दुकान पर
पहुंचा ताला टूटा देखकर मुझे लगा की मेरे पास जो कुछ भी
थोड़ा बहुत था वो भी सब लुट गया, मै दुकान में घुसा तो देखा
1000 रूपए का एक नोट, चीनी के डब्बे के नीचे भगवान ने
मेरे लिए रखा हुआ है 💴
साहब ….. उस दिन एक हज़ार के नोट की कीमत मेरे लिए
क्या थी शायद मै बयान न कर पाऊं…लेकिन भगवान् है साहब
भगवान् तो है बूढ़ा फिर अपने आप में बड़बड़ाया…भगवान् के
होने का आत्मविश्वास उसकी आँखों में साफ़ चमक रहा था
यह सुनकर वहां सन्नाटा छा गया…पंद्रह जोड़ी आंखे मेजर की
तरफ देख रही थी जिसकी आंख में उन्हें अपने लिए स्पष्ट
आदेश था चुप रहो..मेजर साहब उठे, चाय का बिल अदा
किया और बूढ़े चाय वाले को गले लगाते हुए बोले “हाँ बाबा मै
जानता हूँ भगवान् है 🗽 और तुम्हारी चाय भी शानदार थी
दोस्तों सच्चाई यही है की भगवान तुम्हे कब किसी का
भगवान बनाकर कहीं भेज दे ये खुद तुम भी नहीं जानते