कांचा गछीबावली जंगल विवाद में क्या बोले नंद कुमार साय आइए जाने…..

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हैदराबाद/सत्य का सामना/ कांचा गछी बावली जंगल में विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है शहर वासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा जोरदार आंदोलन धरना प्रदर्शन किया जा रहा है इसी बीच वरिष्ठ भाजपा नेता नंद कुमार साय ने इस विषय पे अपनी बात रखी…

 

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तेजी से विकसित होते महानगर हैदराबाद में जहां एक ओर कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ प्राकृतिक धरोहरें आज भी शहर की सांसें बनाए हुए हैं। ऐसी ही एक अनमोल धरोहर है कांचा गचीबावली जंगल। यह जंगल सिर्फ एक हरित क्षेत्र नहीं, बल्कि हैदराबाद के पर्यावरणीय संतुलन का प्रमुख आधार है। बीते कुछ समय से यहां चल रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों और प्रस्तावित परियोजनाओं के विरोध में शहरवासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और युवाओं ने एकजुट होकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं कि यह जंगल क्यों इतना महत्वपूर्ण है, और इसे बचाने की लड़ाई क्यों जरूरी हो गई है।

कांचा गचीबावली जंगल सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों का भंडार नहीं, बल्कि यह क्षेत्र इतिहास की अनकही कहानियों का भी साक्षी है। यह जंगल हैदराबाद के सांस्कृतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसका पता इसके भीतर और आसपास मौजूद प्राचीन चिह्नों, लोककथाओं और मान्यताओं से चलता है।

 

 

1. मेगालिथिक अवशेष और शिला-चित्र:

जंगल के कई हिस्सों में ग्रेनाइट चट्टानों पर उकेरे गए रहस्यमयी चिह्न और मेगालिथिक पत्थर संरचनाएं पाई गई हैं, जो इस क्षेत्र में प्राचीन मानव बस्तियों और आदिम जातियों के निवास की ओर संकेत करती हैं।

2. कुतुबशाही युग की संभावित धरोहर:

इतिहासकारों के अनुसार, यह क्षेत्र कुतुबशाही शासनकाल में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा हो सकता है। लोककथाओं में यह भी कहा गया है कि इस जंगल से होकर जाने वाली छिपी हुई सुरंगें और गोपनीय मार्ग गोलकुंडा किले से जुड़े थे, जिन्हें संकट काल में उपयोग किया जाता था।

 

3. वनदेवता और पूजा स्थल:

आसपास के ग्रामीणों और आदिवासी समुदायों में यह जंगल “वनदेवता की भूमि” के रूप में पूजनीय है। यहां आज भी कुछ स्थानों पर पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, खासकर वर्षा ऋतु और त्योहारों के दौरान।

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