डेब्यू टेस्ट में शतक जड़कर मैन ऑफ द मैच! यशस्वी जयसवाल एक ही इनिंग से क्रिकेट की दुनिया में छा गए हैं। लंबे अरसे बाद कोई निम्न मध्यमवर्गीय परिवार का लड़का भारतीय टीम में सितारे की तरह चमक रहा है। यशस्वी ने मुंबई में 5 BHK फ्लैट खरीद लिया है। परिवार शिफ्ट भी कर चुका है। बड़े भाई ने बताया कि देश की आर्थिक राजधानी में अपना घर खरीदना यशस्वी का ख्वाब था। यशस्वी की कहानी किसी परीकथा से कम नहीं रही। बड़े भाई तेजस्वी जयसवाल को लेफ्ट हैंड बैटिंग करता हुआ देखकर यशस्वी ने क्रिकेट खेलने की सोची। 7 साल की उम्र में बल्ला थाम लिया और सुरियावां, भदोही के क्रिकेट एकेडमी में पहुंच गए। माता-पिता को लगा कि इसी बहाने बच्चे का मन लगा रहेगा और उसकी फिटनेस भी बेहतर हो जाएगी। पर यशस्वी उम्मीदों से बढ़कर निकले। सिर्फ 1 साल के भीतर वह क्लब की सीनियर टीम में आ गए। सोचकर देखिए, 8 साल की उम्र में दिसंबर-जनवरी की कड़कती ठंड में यशस्वी क्लब के साथी खिलाड़ियों के साथ ट्रक की छत पर बैठकर यूपी के अलग-अलग हिस्सों में मैच खेलने जाते थे। आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करने आते थे और लेग ब्रेक गेंदबाजी में भी हाथ आजमाते थे। हर कोई उस उम्र में ही यशस्वी की प्रतिभा देकर दंग रह जाता था।
5 साल लगातार सुरियावां, भदोही में ही यशस्वी ने खुद को निखारा। इस दौरान उन्होंने अपने दम पर क्लब को ढेर सारे मुकाबले जिताए। आपको जानकर आश्चर्य लगेगा कि आज तक भदोही जिला क्रिकेट संघ को यूपी क्रिकेट बोर्ड की तरफ से मानता नहीं मिल सकी है। ऐसी जगह से अगर कोई लड़का इंडिया खेलने की सोचे भी, तो लोगों की हंसी छूट जाए। पर नन्हे यशस्वी ने खुली आंखों में आसमान समेटने का सपना देख लिया था। कहते हैं कि बच्चे में ईश्वर वास करता है। उस उम्र में भी यशस्वी को टेनिस बॉल से ढेरों मुकाबले खेलने के ऑफर आए। पर यशस्वी ने सिर्फ एक ही जवाब दिया कि मैं उसी गेंद से क्रिकेट खेलूंगा, जिससे इंडिया के बल्लेबाज खेलते हैं। अब जब भरोसा इतना मजबूत हो, तो भला ऐसे बच्चे को कौन रोक सका है। क्लब की तरफ से यशस्वी यूपी बोर्ड के अंडर-14 ट्रायल में शामिल हुए लेकिन फाइनल राउंड में उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। यशस्वी के कोच आरिफ खान का दिल टूट गया। उन्होंने ठान लिया कि इस लड़के को किसी भी हाल में मुंबई भेजना है। माता-पिता राजी नहीं हुए। कहा कि बड़े बेटे को ले जाइए लेकिन छोटे को रहने दीजिए। साल भर की जद्दोजहद के बाद 12 वर्ष की उम्र में यशस्वी मुंबई शिफ्ट हुए।
मुंबई के नालासोपारा में यशस्वी जायसवाल का पहला आशियाना था। वह वहीं से अपने ग्रुप के साथ प्रैक्टिस करने आजाद मैदान जाया करते थे। इस बीच यशस्वी के अंकल का किराए का घर उतना बड़ा नहीं था, जहां रह कर वह अपनी क्रिकेट की तैयारी जारी रख सकें। यहां से यशस्वी ने काल्बादेवी डेयरी में सर छिपाने की खातिर आशियाने की उम्मीद में काम किया। एक दिन ये कहते हुए यशस्वी का पूरा सामान फेंक दिया गया कि वह कुछ नहीं करतता है। उनकी सहायता नहीं करता, बल्कि दिनभर क्रिकेट के अभ्यास के बाद थक कर चूर हो जाने के कारण सो जाता है। इसके बाद कई दिनों तक भूखे-प्यासे गुजरने के बाद यशस्वी को आजाद मैदान के टेंट में रहने की जगह मिल गई। भीषण गर्मी के दौरान उस टेंट में सो पाना बहुत मुश्किल होता था। इसलिए यशस्वी अक्सर रात में बीच मैदान बिस्तर लगाते थे। पर खुले में सोने का नतीजा हुआ कि एक रात यशस्वी के आंख में कीड़े ने काट लिया। उनकी आंख बहुत ज्यादा फूल गई थी। यशस्वी के पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह डॉक्टर के पास जा सकें और अपनी आंख का इलाज करवा सकें। उस दिन के बाद से चाहे कितनी भी गर्मी क्यों ना हो, यशस्वी टेंट में ही सोते थे।
इसके बाद गुजारा करने के लिए आजाद मैदान में होने वाली रामलीला में यशस्वी पानीपुरी और फल बेचने में मदद करने लगे। ऐसी कई रातें आईं, जब साथ रहने वाले ग्राउंड्समैन से उनकी लड़ाई हो गई और बदले में यशस्वी को भूखा ही सोना पड़ा। रामलीला के दौरान कई बार यशस्वी के साथ प्रैक्टिस करने वाले खिलाड़ी उनकी दुकान पर गोलगप्पे खाने आ जाते थे। यशस्वी को उस वक्त बहुत शर्म आती थी। यशस्वी देखते थे कि दूसरे खिलाड़ियों के लिए उनके माता-पिता लंच लेकर आते थे। पर यशस्वी को तो टेंट में ब्रेकफास्ट मिलता नहीं था, लंच और डिनर भी खुद से रोटी और सब्जी बनाने पर नसीब होता था। यशस्वी कहते हैं कि मुझे वो दिन भी अच्छे से याद हैं, जब मैं लगभग बेशर्म हो गया था। मैं अपने टीममेट्स के साथ लंच के लिए जाता था, ये जानते हुए कि मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं उनसे कहता था, पैसे नहीं हैं लेकिन भूख है। जब एक-दो टीममेट चिढ़ाते, तो मैं गुस्से में जवाब नहीं देता था। आंसू पीकर रह जाता था। ये सब बातें यशस्वी ने अपने बचपन के कोच और परिवार को उस वक्त बिलकुल नहीं बताईं। उन्हें डर था कि सच्चाई पता चलने पर परिवार वापस बुला लेगा और फिर उनका हिंदुस्तान के लिए क्रिकेट खेलने का सपना अधूरा रह जाएगा। इसके बाद यशस्वी मुंबई के मशहूर क्रिकेट कोच ज्वाला सिंह के संपर्क में आए और शिद्दत के साथ मंजिल तक पहुंचने की कोशिश शुरू कर दी।
2 साल में ही मुंबई में यशस्वी के बल्ले का डंका बजने लगा। वही मुंबई जिसके लिए सुनील गावस्कर, सचिन तेंदुलकर और रोहित शर्मा ने घरेलू क्रिकेट खेला, अब वहां यशस्वी जयसवाल की तूती बोल रही थी। यशस्वी 14 साल की उम्र में मुंबई की अंडर-19 टीम में शामिल कर लिए गए। जिस खिलाडी को यूपी क्रिकेट बोर्ड ने ठुकरा दिया, उसे मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन ने बाहें खोलकर अपना लिया। मुंबई ने सर्वाधिक 41 बार रणजी ट्रॉफी जीती है, जबकि उत्तर प्रदेश की टीम ने सिर्फ 4 बार इस खिताब पर कब्जा किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रतिभाशाली खिलाड़ी या तो घर बैठ जाते हैं अथवा दूसरे राज्यों से क्रिकेट खेल पर मजबूर कर दिए जाते हैं। आपको शायद यकीन नहीं होगा कि यशस्वी जयसवाल ने अगले पांच सालों में मुंबई की अंडर-19 टीम की तरफ से अलग-अलग प्रतियोगिताओं में लगभग 50 शतक ठोक दिए। ऐसा तूफानी प्रदर्शन देखकर यशस्वी को भारत की अंडर-19 टीम में शामिल कर लिया गया।
इधर यशस्वी ने वाइट बॉल से खेले जाने वाले विजय हजारे ट्रॉफी में पूरा भौकाल कर दिया। मुंबई की सीनियर टीम की तरफ से बतौर सलामी बल्लेबाज उन्होंने अपने पहले ही मुकाबले में 113 रन जड़ दिए। उस टूर्नामेंट में उनका सर्वाधिक स्कोर 203 रन रहा। उस सीजन यशस्वी ने 1 अर्धशतक, 2 शतक और 1 दोहरे शतक की मदद से विजय हजारे ट्रॉफी के 6 मुकाबलों में 564 रन ठोक दिए। अब यशस्वी धीरे-धीरे देश की निगाह में आने लगे थे। भारत 2020 में अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलने के लिए तैयार था और यशस्वी की फॉर्म बता रही थी कि उन्हें टीम से बाहर रखने का जोखिम मोल नहीं लिया जा सकता। दक्षिण अफ्रीका में खेले गए इस टूर्नामेंट में टीम इंडिया ने फाइनल तक का सफर तय किया। बाउंसी विकेट पर यशस्वी ने टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा 400 रन बनाए। इस दौरान उन्होंने 1 शतक और 4 अर्धशतक लगाए। भारत बांग्लादेश के हाथों 3 विकेट से फाइनल जरुर हार गया लेकिन मैन ऑफ द सीरीज चुने गए यशस्वी जयसवाल का नया सफर शुरू हो चुका था। वर्ल्ड कप के ठीक बाद हुए IPL ऑक्शन में राजस्थान रॉयल्स ने यशस्वी को 2.4 करोड़ में खरीद लिया लेकिन सिर्फ 3 मैच खेलने का मौका दिया।
यशस्वी समझ गए थे कि IPL की प्लेइंग XI में आने के लिए उन्हें कुछ विशेष करके दिखाना होगा। 2021-22 की रणजी ट्रॉफी में यशस्वी ने 3 मुकाबलों में ही 3 शतक और 1 अर्धशतक के साथ 498 रन जड़ दिए। वह मुंबई की तरफ से क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल और फाइनल में उतरे थे। सेमीफाइनल की दोनों पारियों में यशस्वी ने शतक ठोका था। मुंबई को रणजी चैंपियन बनाने के बाद यशस्वी वेस्ट जोन की तरफ से दलीप ट्रॉफी खेलने उतरे। पहले ही मैच में 228 रन और फाइनल में 265 रन। यशस्वी ने अकेले दम पर वेस्ट जोन को दलीप ट्रॉफी चैंपियन बना दिया। यशस्वी को इस प्रदर्शन के आधार पर इंडिया ए टीम में चुन लिया गया। उन्होंने यहां भी बांग्लादेश के खिलाफ ताबड़तोड़ शतक ठोक दिया। 2003 की शुरुआत में यशस्वी रेस्ट ऑफ इंडिया की तरफ से खेलने उतरे और रणजी ट्रॉफी चैंपियन मध्य प्रदेश के खिलाफ दोहरा शतक जड़कर टीम को चैंपियन बना दिया। 2021 और 2022 के IPL में यशस्वी का प्रदर्शन उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहा।
IPL 2021 में 10 मैच खेलकर 1 अर्धशतक के सहारे 249 तो वहीं 2022 में 10 मुकाबलों में उनके बल्ले से 2 अर्धशतकों की मदद से 258 रन ही निकले। हालांकि राजस्थान रॉयल्स को उनपर पूरा भरोसा था। इसलिए टीम ने उन्हें 2022 मेगा ऑक्शन रिटेन किया था। आखिरकार IPL 2023 में यशस्वी ने अपनी टीम का भरोसा सूद समेत वापस किया। उन्होंने 14 मुकाबलों में 163.61 की स्ट्राइक रेट के साथ 5 अर्धशतक और 1 शतक की मदद से 625 रन ठोक दिए। नतीजा यह रहा कि वह इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट चुने गए। आखिरकार 21 साल की उम्र में यशस्वी को अपनी कड़ी तपस्या का फल मिला। उन्होंने 12 जुलाई को वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और पहली ही पारी में 387 गेंद पर 16 चौकों और 1 छक्के की मदद से 171 रन बना दिया। उम्मीद है कि यशस्वी ODI वर्ल्ड कप, 2023 में भी नजर आएंगे। बल्ले के जोर पर टीम इंडिया को विश्व विजेता बनाएंगे। धमाकेदार डेब्यू के बाद यकीन है कि 21 वर्षीय युवा खिलाड़ी यशस्वी जयसवाल का संघर्ष रंग लाएगा। यशस्वी अपनी बल्लेबाजी से टीम इंडिया को ढेरों मुकाबले जिताएगा। शतकों का अंबार लगाएगा